चाँद

आजकल दिन में भी चाँद चला आता है। कैसी बेशरमी है! न वक्त देखता है न कुछ! बस मुह उठाकर चला आता है छत पर!कुछ पूंछ लूं तो मुह उठाकर जवाब भी देता है! कहता है, सुबह-सुबह आने का मजा रात में कहां? तुम रात में नहाती नहीं हो ना! गिले बाल लेकर छत पर भी नहीं आती! उन बालों […]

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